Saturday, May 22, 2021

गढ़मुक्तेश्वर - शिव के गणो को जहा मिली थी पिशाच योनि से मुक्ति

 इतिहास के पन्नो को पलटे तो गढ़मुक्तेश्वर की जड़ें कुरु राजवंश हस्तिनापुर से जुडी मानी जाती हैं. एक ऐतिहासिक स्थान के रूप में प्रसिद्द गढ़मुक्तेशवर (Mukteshwar Temple) को बसाने का श्रेय गढ़वाल के राजाओ को जाता हैं. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से मात्र 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गढ़मुक्तेश्वर एक ऐतिहासिक, आध्यात्मिक और पर्यटन की दृष्टि बहुत महत्वपूर्ण स्थान हैं.

गढ़मुक्तेश्वर में लगने वाला कार्तिक स्नान का उत्सव बहुत बड़ा उत्सव माना जाता हैं. इस उत्सव में अनेक तीर्थयात्री कार्तिक स्नान के लिए विशेष रूप से देश के कोने कोने से आते हैं. यहाँ पर शिव के गांव को पिशाच योनि से मुक्ति मिली थी, इसलिए इस शहर का नाम गढ़मुक्तेश्वर (गणो को मुक्त करने वाले ईश्वर ) के रूप में प्रसिद्द हैं.

Mukteshwar Mahadev Temple Garh Mukteshwar




गंगा किनारे बसा पावन और ऐतिहासिक शहर गढ़मुक्तेश्वर पर्यटन और धार्मिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण स्थान हैं. गंगा किनारे स्थित ये पावन शहर मंदिरो का केंद्र हैं. यहाँ स्थित मंदिरो में सबसे प्राचीन मंदिर मुक्तेश्वर महादेव (Mukteshwar Temple) का मंदिर हैं, इसी मंदिर के नाम पर मुक्तेश्वर का नाम पड़ा .



मुक्तेश्वर महादेव मंदिर देवी गंगा को समर्पित मंदिर हैं. इस मंदिर की स्थापना के बारे में मान्यता हैं की यह मंदिर ऋषि परशुराम ने बनाया था. मुक्तेश्वर महादेव के अलावा यहाँ अन्य महत्वपूर्ण मंदिर - मीराबाई की रेती, हनुमान मंदिर, वेदांत मंदिर हैं. मीराबाई की रेती मुक्तेश्वर मंदिर के सामने स्थित हैं. मान्यता हैं मीरा यहाँ रही और भजन ध्यान किया .


History of Mukteshwar Temple in Bhubneshwar


ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के जिले खुर्द में स्थित मुक्तेश्वर धाम दो समूहों परमेश्वर मंदिर और मुक्तेश्वर मंदिर (Mukteshwar Temple) दो रुपो में हैं. मुक्तेश्वर मंदिर भगवन शिव को समर्पित मंदिर हैं जिसमे भगवान शिव, ब्रह्मा, विष्णु, पार्वती, नंदी की भी मूर्तियाँ विराजमान हैं. ओडिशा का मुक्तेश्वर मंदिर का निर्माण 970 ईसा पूर्व के आस पास हुआ था. इस मंदिर में शिवलिंग सफ़ेद संगमरमर का बना हुआ हैं. मंदिर में चित्रकारी से मंदिर को आकर्षक बनाया गया हैं.पंचतंत्र की कहानी को भी मंदिर में चित्रकारी से उकेरा गया हैं.


इस मंदिर तक जाने के लिए 100 सीढिया चढ़नी पड़ती हैं. नागर शैली और कलिंग शैली से निर्मित इस मंदिर की वास्तुकला और मंदिर में की गयी चित्रकारी मंदिर को भव्य और शानदार स्वरुप प्रदान करती हैं. मंदिर के तोरण में भी नक्काशी बहुत शानदार की गयी हैं. मंदिर के प्रवेश द्वार मगरमछ के सिर जैसे बने हुए हैं. हर साल इस मंदिर परिसर में उड़ीसा सरकार द्वारा एक नृत्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाता हैं. नृत्य कार्यक्रम का यह आयोजन 3 दिन तक चलता हैं. इस कार्यक्रम में ओडिशा के प्रसिद्ध नृत्य ओडिशी को प्रस्तुत किया जाता हैं. इस अवसर पर यहाँ हजारो की संख्या में भक्त और पर्यटक यहाँ आते हैं.


Mukteshwar Temple In Pathankoat


मुक्तेश्वर मंदिर (Mukteshwar Temple) पठानकोट शहर के निकट स्थित हैं. यह मंदिर ब्रह्मा, विष्णु, हनुमान और माता पार्वती को समर्पित हैं, इस मंदिर का निर्माण पांडवो ने अपने अज्ञातवास के दौरान किया था. मान्यता हैं पांडव जब अपने अज्ञातवास के दौरान जब पंजाब आये तो उन्होंने पहाड़ो को काटकर शिव मंदिर का निर्माण किया. शिव का यह मंदिर बहुत प्राचीन और भव्य बना हुआ हैं.

 गुफा तक पहुंचने के लिए 164 सीढिया बनी हुयी हैं. इस मंदिर में पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान 6 माह तक रुके थे. यहाँ उन्होंने शिवलिंग और एक हवन कुंड की स्थापना की थी, जो आज भी मौजूद हैं. यहाँ मनाये जाने वाले पर्व में महाशिवरात्रि का उत्सव बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं.


मुक्तेश्वर धाम अगर हम इसे मोक्ष का या मुक्ति का धाम कहे तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए, क्युकी यहाँ शिव के गणो के साथ साथ विष्णु के गणो जय और अजय को भी मुक्ति मिली थी. इसलिए इसे गणमुक्तेश्वर धाम के नाम से जाना जाता हैं. मुक्त का अर्थ हैं जीवन और ईश्वर का अर्थ प्रभु. जो जीवन से मुक्ति प्रदान अर्थात मोक्ष प्रदान कर दें वह हैं ईश्वर.






मुक्तेश्वर (Mukteshwar Temple) नाम की एक जगह उत्तराखंड में भी स्थित हैं. यहाँ 10 सदी में स्थापित मुक्तेश्वर महादेव का मंदिर स्थित हैं. मान्यता हैं यह मंदिर कत्यूरी राजाओ द्वारा बनाया गया हैं.


Sunday, May 16, 2021

विश्व का पहला ग्रेनाइट से निर्मित बृहदेश्वर मंदिर

 Brihadeswar Temple

भारत देवो की भूमि रही हैं यहाँ के कण कण में ईश्वर विद्यमान हैं. भारत के हर राज्य में ईश्वर को समर्पित अनेक मंदिर, धाम-देवस्थान हैं. ऐसा ही एक अनुपम स्थान तमिलनाडु के तंजोर में स्थित बृहदीश्वरर का मंदिर हैं. यह एक हिन्दू मंदिर हैं. मंदिर का निर्माण ग्रेनाइट से किया गया हैं. मंदिर की शिल्पकला, वास्तुकला बहुत भव्य और अनूठी हैं. यूनेस्को द्वारा इसे विश्व धरोहर के रूप में सुरक्षित रखा गया हैं. मंदिर का निर्माण 1003 -1010 ईस्वी में प्रथम चोल शासक राजराज चोल ने करवाया था, इसलिए वृहदेश्वर मंदिर (Brihadeswar Temple) को राजराजेश्वर मंदिर भी कहा जाता हैं. मंदिर की उचाई लगभग 66 मीटर हैं, वृहदेशवर का मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं.


Brihadeswar Temple History


वृहदेश्वर मंदिर के इतिहास (History of Brihadeswar Temple)  को अगर हम देखे तो यह मंदिर का निर्माण राजराज चोल ने एक स्वपन के आधार पर बनाया था. राजराज चोल ने यह मंदिर यज्ञ और ईश्वर की उपासना के लिए बनाया था. चोल साम्राज्य का प्रतीक यह वृहदेश्वर मंदिर तमिल सभ्यता और वास्तुकला का एक अनूठा संगम हैं.


काँसा और बेहतरीन चित्रकारी से सुसज्जित यह मंदिर वास्तुकला और शिल्पकला का अनूठा उदहारण हैं. मंदिर में आकर्षण का प्रमुख केंद्र नंदी की बानी प्रतिमा हैं, जो एक ही शिला से बनायीं गयी हैं. इस प्रतिमा की ऊंचाई 16 लम्बी और 13 फ़ीट ऊंची हैं.

Brihadeswar Temple Facts


वृहदेश्वर मंदिर से जुड़े हुए कई तथ्य हैं, जो अपने आप में एक आश्चर्य हैं. आइये इन तथ्यों को जानते हैं.मंदिर में मूर्ति का नाम राजराजेश्वर हैं. वृहदेश्वर नाम इसे मराठाओ ने दिया था.

  • मंदिर के निर्माण में 1,30000 टन ग्रेनाइट लगा हुआ हैं, जबकि इस मंदिर के आस पास यहाँ से 100 किलोमीटर तक कोई ग्रेनाइट की सुरंग नहीं हैं
  • एक मिथक जो मंदिर के साथ जुड़ा हुआ हैं, वह ये हैं कि मंदिर के प्रमुख गुम्बद की छाया कभी जमीन पर नहीं पड़ती.
  • मंदिर के प्रमुख द्वार पर सुसज्जित नंदी की मूर्ति एक शिला को काटकर बनायीं गयी हैं. जो 16 फ़ीट लम्बी और 13 फ़ीट ऊंची हैं.



  • वृहदेश्वर मंदिर में मुख्य शिवलिंग की लम्बाई 12 फ़ीट की हैं
  • मंदिर को बनाने में 130,000 टन का पत्थर प्रयोग हुआ हैं. मंदिर के निर्माण कार्य में लगभग 7 वर्ष लगे. मंदिर की सरंचना इतनी मजबूत हैं, 7 बार भूकंप आने पर भी यह विशाल सरंचना मजबूती के साथ खड़ी हैं.
  • राजराजा चोल ने इसके अलावा मंदिर को 2500 एकड़ जमीन और मंदिर में दियो को जलाने के लिए घी की आपूर्ति हेतु 4000 गाय, 7000 बकरिया और भैसे दान की थी.

  • मंदिर को बनाने वाले राजा राजराजा चोल ने मंदिर में प्रबंधन के कार्य को सही ढंग से संचालित करने के लिए 192 कर्मचारियों की नियुक्ति की. उस समय प्रबंधन के लिए व्यक्तियो का नियुक्तिकरण यह भी राजराजा चोल की प्रबंधन नीति की कुशलता को दर्शाता हैं.

Brihadeswar Temple Information


बृहदेशवर मंदिर (Brihadeswar Temple)  हिन्दुओ का प्रसिद्ध मंदिर हैं, यह ग्रेनाइट से बना हुआ पहला मंदिर हैं. एक अन्य आश्चर्य का विषय यह भी हैं कि ग्रेनाइट को तराशना आसान नहीं हैं. क्युकी ख़ास किस्म के हीरे के टुकड़े लगे औजारों से ही ग्रेनाइट को तराशा जा सकता हैं. और उस समय बिना किसी आधुनिक औजारों से कैसे ग्रेनाइट को तराशकर ऐसे मूर्तियाँ बनायीं होगी , यह भी एक आश्चर्य का विषय हैं.



मंदिर के प्रवेश द्वार पर स्थित नंदी की मूर्ति जो एक पत्थर को ही तराशकर बनायीं गयी हैं. 16 फ़ीट लम्बी और 13 फ़ीट ऊंची नंदी की मूर्ति आपको आश्चर्य में डाल देगी .



विश्व के सबसे ऊंचे मंदिरो में से एक बृहदेश्वर का यह मंदिर अपनी चित्रकला और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध हैं. मंदिर के गर्भगृह में बनी शिव की विभिन्न मुद्राओ में बनी चित्रकारी अंकित हैं. दक्षिण भारत के सभी मंदिरो की यह विशेषता हैं, इनमे बना गोपुरम. ये गोपुरम मंदिर को अनुपम सौंदर्य प्रदान करते हैं. वृहदेश्वर मंदिर (Brihadeeswarar Temple) में बना गोपुरम 80 टन का हैं, जिसकी यह विशेषता हैं कि इसकी जमीन पर छाया नहीं पड़ती.

Gangaikonda Cholapuram Temple Timings



वृहदेश्वर मंदिर चोल राजाओ द्वारा बनाई गई एक अनुपम और उत्कृष्ट शैली हैं. मंदिर में की गयी चित्रकारी और वास्तुकला मंदिर (Brihadeeswarar Temple)  को उत्कृष्टता प्रदान करती हैं. मंदिर में प्रवेश का समय प्रातकाल 6 बजे से अपराह्न 12 बजे तक हैं. सायंकाल में 4 बजे से रात्रि 8 बजे से हैं.

वृहदेश्वर मंदिर (Brihadeeswarar Temple)  विश्व के ऊँचे मंदिर में से एक हैं. ग्रेनाइट से बना यह पहला मंदिर हैं. इस मंदिर में विभिन्न प्रकार की चित्रकारिया, मंदिर की वास्तुकला, शिल्प कला, ग्रेनाइट से की गयी नक्काशी इसे भव्य स्वरुप प्रदान करती हैं. चोल राजाओ द्वारा निर्मित यह मंदिर अनुपम और उत्कृष्ट शैली की सरंचना हैं.

Thursday, May 13, 2021

सुचिन्द्रम मंदिर : त्रिदेव यहाँ पधारे थे शिशु रूप में

 


सृष्टि के त्रिदेव के रूप में ब्रह्मा ,विष्णु, महेश जी माने जाते हैं, वैसे तो ब्रह्मा , विष्णु और महेश के अनेको मंदिर भारत की भूमि में हैं पर जहा पर त्रिदेव एक साथ विद्यमान हो ऐसी पावन भूमि कन्याकुमारी के नजदीक सुचिन्द्रम (Suchindram Temple) हैं, जहा ब्रह्मा , विष्णु और महेश तीनो देवो की मूर्ति एक साथ विद्यमान हैं सुचिन्द्रम में तीनो देव लिंग के रूप में विद्यमान हैं.

Suchindram Temple Story - History of Suchindram Temple


सुचिन्द्रम मंदिर के इतिहास (history of Suchindram Temple)  को अगर हम जानना चाहे तो प्राचीन समय में यहाँ घना वन था, जहा ऋषि अत्रि अपनी पत्नी सती अनुसुइया के साथ रहते थे.देवी अनुसईया पति परायण स्त्री थी. उन्हें किसी भी व्यक्ति का शरीर परिवर्तित करने की शक्ति प्राप्त थी. जब त्रिदेवों की पत्नी को इस बात की जानकारी हुयी तो उन्होंने त्रिदेवो को सती अनुसुईया की शक्ति की परीक्षा लेने के लिए भेजा. तब ऋषि अत्रि हिमालय तपस्या करने गए थे .तब त्रिदेव साधु का रूप धारण कर सती अनुसुइया के पास भिक्षा मांगने के लिए गए , उस वक़्त सती अनुसुइया स्नान कर रही थी , त्रिदेवो ने उनसे उसी रूप में आकर भिक्षा देने के लिए कहा ,


प्रश्न यह था की देवी अनुसुइया अगर उसी रूप में त्रिदेव के सामने आती तो तो उनका पतिव्रत धर्म नष्ट होता , और अगर नहीं आती तो ब्राह्मणो को भिक्षा नहीं देने का पाप होता , तब देवी सती ने अपनी शक्ति से तीनो देवो को शिशु रूप में परिवर्तित कर दिया .जब त्रिदेवो की पत्नियों को अपने पति के शिशु रूप में परिवर्तित होने की जानकारी मिली तो वे व्याकुल होकर देवी सती अनुसुइया के पास आयी और उनसे क्षमा मांगने लगी. देवी अनुसुइया ने उन्हें क्षमा कर दिया और तीनो देवो को वापिस उनके रूप में परिवर्तित कर दिया ,लेकिन उन्होंने त्रिदेवो को प्रतीक रूप में अपने आश्रम में रहने को कहा . तब ब्रह्मा , विष्णु , महेश प्रतीक रूप में उसी स्थान पर विद्यमान हो गए .


एक अन्य कथा में जब देवराज इंद्र को ऋषि गौतम ने श्राप दिया तो , वे श्राप से मुक्ति पाने के लिए सुचिन्द्रम में तपस्या करने लगे और तत्पश्च्यात घृत से स्नान किया तब देवराज इंद्र शापमुक्त होकर अपने लोक स्वर्ग को चले गए . उसके बाद से इस स्थान का नाम सुचिन्द्रम पड़ा .


Suchindram Temple Dress Code

सुचिन्द्रम मंदिर (Suchindram Temple dress code) में प्रवेश को लेकर वेशभूषा का भी विशेष ध्यान दिया जाता हैं.कोई भी पाश्चात्य वेशभूषा को पहनकर मंदिर में प्रवेश करना वर्जित हैं. मंदिर में प्रवेश के साथ ही पुरुषो के लिए धोती या कुर्ता और महिलाओ के लिए साड़ी यहाँ की वेशभूषा हैं.

Special Features of Suchindram Temple


सुचिन्द्रम अनूठी स्थापत्य कला का एक केंद्र हैं.कन्याकुमारी से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सुचिन्द्रम त्रिदेवो का मंदिर हैं. मंदिर में एक पुराना वृक्ष स्थापित हैं, जिसके खोखले भाग में त्रिदेव विराजमान हैं . मंदिर में हनुमान जी की 18 फ़ीट ऊँची मूर्ति स्थापित हैं.मंदिर में नवग्रह की मुर्तिया भी विराजमान हैं,


मंदिर की अन्य विशेषता के रूप में मंदिर में मौजूद चार संगीतमय स्तम्भ हैं.इन संगीतमय स्तम्भों से अलग अलग वाद्य यंत्रो की ध्वनि सुनाई देती हैं, प्राचीन काल में इन स्तम्भों का प्रयोग पूजा अर्चना में संगीत की ध्वनि उत्पन्न करने के लिए किया जाता था.

मंदिर का गोपुरम 134 फ़ीट ऊँचा हैं.मंदिर में स्थित नंदी की प्रतिमा 800 वर्ष पुरानी हैं.नंदी की मूर्ति बहुत विशाल हैं , मंदिर के पास ही एक सरोवर हैं, जिसके मध्य में एक दिव्य मंडप स्थित हैं. मंदिर में भगवन विष्णु ( bhagwaan Vishu ka mandir) की अष्टधातु की एक प्रतिमा विद्यमान हैं. इसके अलावा सीता राम की मूर्ति,स्थापित हैं, मंदिर में 30 पूजा स्थल हैं.


सुचिन्द्रम मंदिर (Suchindram Temple) की गणना त्रिदेवो के धार्मिक स्थल के रूप में की जाती हैं. माँ अनुसुइया के प्रभाव से त्रिदेवो के शिशु रूप में विराजित अलौकिक स्थान सुचिन्द्रम त्रिदेवो की नगरी कही जाये तो अतिशियोक्ति नहीं होगी.सुचिन्द्रम में स्थापित मंदिर भी स्थापत्य कला का एक उत्कृष्ट उदहारण हैं. मंदिर में मौजूद संगीतमय स्तम्भ भी मंदिर के आकर्षण का केंद्र हैं.



Saturday, May 8, 2021

13 Beautiful Ancient Temples In India

 We have learnt in Indian History that Temples in Ancient Times were once Social Hubs where people congregated. They were also sites where the Arts of Dance, Music and Combat were honed and have been passed down for Generations. Today, These Temples remind us of our past and the Architectural Brilliance of Craftsmen in those days.

1. Brihadeshwara Temple, Tanjore, Tamil Nadu 

Built by King Rajaraja Chola in 1002 AD, this Temple was dedicated to God Shiv and is the finest example of Dravidian Art. The Brihadeshwara Temple combines the best in the Tradition of Temple Building - Architecture, Sculpture, Painting and other Allied Arts. It is composed of many interconnected Structures such as the Nandi Pavilion, a Pillared Portico and a Large Hall. Its Vimana (the Roof like Structure that Towers above the Sanctum Sanctorum or Main Shrine) is 66 metres high. 



2. Kailashnath Temple, Ellora

This was built as a Dedication to God Shiv, The Destroyer. It is a tribute to man's greatness, even though academia have not given it its Due Place in our School History Syllabus. It was carved in perfect proportion and alignment to its adjacent Structures, which include Columns, Flying Bridges, Stone Arches and Statues and Buildings - all made out of a Single Piece of Rock.



3. Chennakeshava Temple, Karnataka

Situated on the banks of the Yagachi River, this Temple was an early Masterpiece of the Hoysala Period. It was built by the Vijayanagara Ruler to commemorate their Victory over the Cholas and is solely dedicated to God Vishnu as most of the figural carvings depict aspects of God Vishnu, particularly the incarnations and the God seated with Goddess Lakshmi.



4. Tugnath Temple, Uttarakhand

At an elevation of 3680 metres above Sea Level, the Tugnath Temple is the Highest Elevated of the Panch Kedar, the others are Madhya Maheshwar, Kedarnath, Rudranath and Kalpeshwar. The Temple is connected to the Ramayana where Lord Ram meditated to release the curse of Brahmahatya for having slaughtered Ravan. The Temple is quite small and hence only 10 people are allowed in at a time. 



5. Adi Kumbeswarar, Tamil Nadu

Located in the Temple Town of India, Kumbha Konam, this Temple dates back to the Vijay Nagar Period. Adi Kumbeswarar is the presiding deity of the Temple and the Shrine is located in the Centre. Kumbeswarar is in the form a Lingam believed to have been made by God Shiv himself when he mixed the Nectar of Immortality and Sand.



6. Jagatpita Brahma Mandir, Pushkar, Rajasthan

Although the Structure of this Temple dates back to the 14th century, this Temple is said to be 2000 years old. The Temple is mainly built of Marble and Stone Slabs. It has a distinct Red Pinnacle and a Bird Motif. The Temple Sanctum Sanctorum holds the central images of Brahma and his Second Consort Gayatri. It witnesses a festival dedicated to Brahma during the Kartik Purnima.



7. Varadharaja Perumal Temple, Tamil Nadu

Varadharaja Perumal Temple is a Hindu Temple dedicated to Bhagwan Vishnu located in the Holy City of Kanchipuram. It is one of the Divya Desams, the 108 Temples of God Vishnu believed to have been visited by the 12 Poet Saints or Alwars. It is believed that the Lizard Sculptures that adorn the ceilings of the Temple when touched forgive The Sins of Your Past Life. 



8. Konark Sun Temple, Odisha

This Temple was built by King Narasimha Deva-I of the Eastern Ganga Dynasty around AD 1250. The Temple is in the shape of a Gigantic Chariot (Rath) with elaborately carved Stone Wheels, Pillars and Walls. A major part of the structure is now in Ruins. The Temple is a UNESCO World Heritage Site.






9. Dilwara Temples near Mount Abu, Rajasthan

Located about 2.5 km from Mount Abu, each of these 5 Temples are Unique in their own way and were built between the 11th and 13th century AD and are remarkable for their Stunning Use of Marble. These 5 Temples (Vimal Vasahi, Luna Vasahi, Pittalhar Temple, Parshva Nath Temple and Mahavir Swami Temple) are considered The Most Beautiful Jain Pilgrimage sites in the World. 



10. Pancha Ratna Temple, Bankura, West Bengal

Built in 1643 by King Raghunath Singha, this Temple stands on a low square plinth and consists of an ambulatory pathway with a porch opened by 3 arches on the 4-Sides of the Temple. The Walls are Richly Decorated with Terracotta Carvings featuring aspects of Lord Krishna’s Life.



11. Badami Cave Temples, Karnataka

The Badami Cave Temples are a Complex of Temples located at Badami, a town in the Bagalkot District in the northern part of Karnataka, India. They are considered an example of Indian Rock-Cut Architecture, especially Badami Chalukya Architecture.




12. Vittala Temple, Hampi, Karnataka

Perhaps one of the most popular of all the Temples in the Hampi Complex, this houses the famous Musical Pillars that have Amazing Acoustics. The British wanted to find out the reason behind this and so they cut 2 Pillars to check if there was anything inside that was Producing the Sound. They found nothing but Hollow Pillars. The road leading to the Temple was once a Market where Horses were traded. Even today we can see the ruins of the market on both the sides of the road. The Temple contains images of Foreigners like Persians Selling Horses.




13. Orchha Temples, Madhya Pradesh

Orchha is another Famous Tourist Spot located near the Famous Khajuraho Temple. The town has Chaturbhuj Temple, Lakshmi Temple and Ram Raja Temple. The Chaturbhuj Temple is imposing with tall spires built atop a high platform. Its exterior is richly ornamented with Lotus Symbols. The Raja Ram Temple resembles a palace as the Ram is worshiped as a King here. The Lakshmi Temple is an odd mixture of Temple and Fort and an Unique Mixture of Concentric Forms. It consists of an Octagonal Central Tower inside A Triangular Temple. In line with this Eccentricity, the Entrance Gate is set in a corner rather than the Wall.