Thursday, May 13, 2021

सुचिन्द्रम मंदिर : त्रिदेव यहाँ पधारे थे शिशु रूप में

 


सृष्टि के त्रिदेव के रूप में ब्रह्मा ,विष्णु, महेश जी माने जाते हैं, वैसे तो ब्रह्मा , विष्णु और महेश के अनेको मंदिर भारत की भूमि में हैं पर जहा पर त्रिदेव एक साथ विद्यमान हो ऐसी पावन भूमि कन्याकुमारी के नजदीक सुचिन्द्रम (Suchindram Temple) हैं, जहा ब्रह्मा , विष्णु और महेश तीनो देवो की मूर्ति एक साथ विद्यमान हैं सुचिन्द्रम में तीनो देव लिंग के रूप में विद्यमान हैं.

Suchindram Temple Story - History of Suchindram Temple


सुचिन्द्रम मंदिर के इतिहास (history of Suchindram Temple)  को अगर हम जानना चाहे तो प्राचीन समय में यहाँ घना वन था, जहा ऋषि अत्रि अपनी पत्नी सती अनुसुइया के साथ रहते थे.देवी अनुसईया पति परायण स्त्री थी. उन्हें किसी भी व्यक्ति का शरीर परिवर्तित करने की शक्ति प्राप्त थी. जब त्रिदेवों की पत्नी को इस बात की जानकारी हुयी तो उन्होंने त्रिदेवो को सती अनुसुईया की शक्ति की परीक्षा लेने के लिए भेजा. तब ऋषि अत्रि हिमालय तपस्या करने गए थे .तब त्रिदेव साधु का रूप धारण कर सती अनुसुइया के पास भिक्षा मांगने के लिए गए , उस वक़्त सती अनुसुइया स्नान कर रही थी , त्रिदेवो ने उनसे उसी रूप में आकर भिक्षा देने के लिए कहा ,


प्रश्न यह था की देवी अनुसुइया अगर उसी रूप में त्रिदेव के सामने आती तो तो उनका पतिव्रत धर्म नष्ट होता , और अगर नहीं आती तो ब्राह्मणो को भिक्षा नहीं देने का पाप होता , तब देवी सती ने अपनी शक्ति से तीनो देवो को शिशु रूप में परिवर्तित कर दिया .जब त्रिदेवो की पत्नियों को अपने पति के शिशु रूप में परिवर्तित होने की जानकारी मिली तो वे व्याकुल होकर देवी सती अनुसुइया के पास आयी और उनसे क्षमा मांगने लगी. देवी अनुसुइया ने उन्हें क्षमा कर दिया और तीनो देवो को वापिस उनके रूप में परिवर्तित कर दिया ,लेकिन उन्होंने त्रिदेवो को प्रतीक रूप में अपने आश्रम में रहने को कहा . तब ब्रह्मा , विष्णु , महेश प्रतीक रूप में उसी स्थान पर विद्यमान हो गए .


एक अन्य कथा में जब देवराज इंद्र को ऋषि गौतम ने श्राप दिया तो , वे श्राप से मुक्ति पाने के लिए सुचिन्द्रम में तपस्या करने लगे और तत्पश्च्यात घृत से स्नान किया तब देवराज इंद्र शापमुक्त होकर अपने लोक स्वर्ग को चले गए . उसके बाद से इस स्थान का नाम सुचिन्द्रम पड़ा .


Suchindram Temple Dress Code

सुचिन्द्रम मंदिर (Suchindram Temple dress code) में प्रवेश को लेकर वेशभूषा का भी विशेष ध्यान दिया जाता हैं.कोई भी पाश्चात्य वेशभूषा को पहनकर मंदिर में प्रवेश करना वर्जित हैं. मंदिर में प्रवेश के साथ ही पुरुषो के लिए धोती या कुर्ता और महिलाओ के लिए साड़ी यहाँ की वेशभूषा हैं.

Special Features of Suchindram Temple


सुचिन्द्रम अनूठी स्थापत्य कला का एक केंद्र हैं.कन्याकुमारी से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सुचिन्द्रम त्रिदेवो का मंदिर हैं. मंदिर में एक पुराना वृक्ष स्थापित हैं, जिसके खोखले भाग में त्रिदेव विराजमान हैं . मंदिर में हनुमान जी की 18 फ़ीट ऊँची मूर्ति स्थापित हैं.मंदिर में नवग्रह की मुर्तिया भी विराजमान हैं,


मंदिर की अन्य विशेषता के रूप में मंदिर में मौजूद चार संगीतमय स्तम्भ हैं.इन संगीतमय स्तम्भों से अलग अलग वाद्य यंत्रो की ध्वनि सुनाई देती हैं, प्राचीन काल में इन स्तम्भों का प्रयोग पूजा अर्चना में संगीत की ध्वनि उत्पन्न करने के लिए किया जाता था.

मंदिर का गोपुरम 134 फ़ीट ऊँचा हैं.मंदिर में स्थित नंदी की प्रतिमा 800 वर्ष पुरानी हैं.नंदी की मूर्ति बहुत विशाल हैं , मंदिर के पास ही एक सरोवर हैं, जिसके मध्य में एक दिव्य मंडप स्थित हैं. मंदिर में भगवन विष्णु ( bhagwaan Vishu ka mandir) की अष्टधातु की एक प्रतिमा विद्यमान हैं. इसके अलावा सीता राम की मूर्ति,स्थापित हैं, मंदिर में 30 पूजा स्थल हैं.


सुचिन्द्रम मंदिर (Suchindram Temple) की गणना त्रिदेवो के धार्मिक स्थल के रूप में की जाती हैं. माँ अनुसुइया के प्रभाव से त्रिदेवो के शिशु रूप में विराजित अलौकिक स्थान सुचिन्द्रम त्रिदेवो की नगरी कही जाये तो अतिशियोक्ति नहीं होगी.सुचिन्द्रम में स्थापित मंदिर भी स्थापत्य कला का एक उत्कृष्ट उदहारण हैं. मंदिर में मौजूद संगीतमय स्तम्भ भी मंदिर के आकर्षण का केंद्र हैं.



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