Saturday, May 22, 2021

गढ़मुक्तेश्वर - शिव के गणो को जहा मिली थी पिशाच योनि से मुक्ति

 इतिहास के पन्नो को पलटे तो गढ़मुक्तेश्वर की जड़ें कुरु राजवंश हस्तिनापुर से जुडी मानी जाती हैं. एक ऐतिहासिक स्थान के रूप में प्रसिद्द गढ़मुक्तेशवर (Mukteshwar Temple) को बसाने का श्रेय गढ़वाल के राजाओ को जाता हैं. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से मात्र 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गढ़मुक्तेश्वर एक ऐतिहासिक, आध्यात्मिक और पर्यटन की दृष्टि बहुत महत्वपूर्ण स्थान हैं.

गढ़मुक्तेश्वर में लगने वाला कार्तिक स्नान का उत्सव बहुत बड़ा उत्सव माना जाता हैं. इस उत्सव में अनेक तीर्थयात्री कार्तिक स्नान के लिए विशेष रूप से देश के कोने कोने से आते हैं. यहाँ पर शिव के गांव को पिशाच योनि से मुक्ति मिली थी, इसलिए इस शहर का नाम गढ़मुक्तेश्वर (गणो को मुक्त करने वाले ईश्वर ) के रूप में प्रसिद्द हैं.

Mukteshwar Mahadev Temple Garh Mukteshwar




गंगा किनारे बसा पावन और ऐतिहासिक शहर गढ़मुक्तेश्वर पर्यटन और धार्मिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण स्थान हैं. गंगा किनारे स्थित ये पावन शहर मंदिरो का केंद्र हैं. यहाँ स्थित मंदिरो में सबसे प्राचीन मंदिर मुक्तेश्वर महादेव (Mukteshwar Temple) का मंदिर हैं, इसी मंदिर के नाम पर मुक्तेश्वर का नाम पड़ा .



मुक्तेश्वर महादेव मंदिर देवी गंगा को समर्पित मंदिर हैं. इस मंदिर की स्थापना के बारे में मान्यता हैं की यह मंदिर ऋषि परशुराम ने बनाया था. मुक्तेश्वर महादेव के अलावा यहाँ अन्य महत्वपूर्ण मंदिर - मीराबाई की रेती, हनुमान मंदिर, वेदांत मंदिर हैं. मीराबाई की रेती मुक्तेश्वर मंदिर के सामने स्थित हैं. मान्यता हैं मीरा यहाँ रही और भजन ध्यान किया .


History of Mukteshwar Temple in Bhubneshwar


ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के जिले खुर्द में स्थित मुक्तेश्वर धाम दो समूहों परमेश्वर मंदिर और मुक्तेश्वर मंदिर (Mukteshwar Temple) दो रुपो में हैं. मुक्तेश्वर मंदिर भगवन शिव को समर्पित मंदिर हैं जिसमे भगवान शिव, ब्रह्मा, विष्णु, पार्वती, नंदी की भी मूर्तियाँ विराजमान हैं. ओडिशा का मुक्तेश्वर मंदिर का निर्माण 970 ईसा पूर्व के आस पास हुआ था. इस मंदिर में शिवलिंग सफ़ेद संगमरमर का बना हुआ हैं. मंदिर में चित्रकारी से मंदिर को आकर्षक बनाया गया हैं.पंचतंत्र की कहानी को भी मंदिर में चित्रकारी से उकेरा गया हैं.


इस मंदिर तक जाने के लिए 100 सीढिया चढ़नी पड़ती हैं. नागर शैली और कलिंग शैली से निर्मित इस मंदिर की वास्तुकला और मंदिर में की गयी चित्रकारी मंदिर को भव्य और शानदार स्वरुप प्रदान करती हैं. मंदिर के तोरण में भी नक्काशी बहुत शानदार की गयी हैं. मंदिर के प्रवेश द्वार मगरमछ के सिर जैसे बने हुए हैं. हर साल इस मंदिर परिसर में उड़ीसा सरकार द्वारा एक नृत्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाता हैं. नृत्य कार्यक्रम का यह आयोजन 3 दिन तक चलता हैं. इस कार्यक्रम में ओडिशा के प्रसिद्ध नृत्य ओडिशी को प्रस्तुत किया जाता हैं. इस अवसर पर यहाँ हजारो की संख्या में भक्त और पर्यटक यहाँ आते हैं.


Mukteshwar Temple In Pathankoat


मुक्तेश्वर मंदिर (Mukteshwar Temple) पठानकोट शहर के निकट स्थित हैं. यह मंदिर ब्रह्मा, विष्णु, हनुमान और माता पार्वती को समर्पित हैं, इस मंदिर का निर्माण पांडवो ने अपने अज्ञातवास के दौरान किया था. मान्यता हैं पांडव जब अपने अज्ञातवास के दौरान जब पंजाब आये तो उन्होंने पहाड़ो को काटकर शिव मंदिर का निर्माण किया. शिव का यह मंदिर बहुत प्राचीन और भव्य बना हुआ हैं.

 गुफा तक पहुंचने के लिए 164 सीढिया बनी हुयी हैं. इस मंदिर में पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान 6 माह तक रुके थे. यहाँ उन्होंने शिवलिंग और एक हवन कुंड की स्थापना की थी, जो आज भी मौजूद हैं. यहाँ मनाये जाने वाले पर्व में महाशिवरात्रि का उत्सव बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं.


मुक्तेश्वर धाम अगर हम इसे मोक्ष का या मुक्ति का धाम कहे तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए, क्युकी यहाँ शिव के गणो के साथ साथ विष्णु के गणो जय और अजय को भी मुक्ति मिली थी. इसलिए इसे गणमुक्तेश्वर धाम के नाम से जाना जाता हैं. मुक्त का अर्थ हैं जीवन और ईश्वर का अर्थ प्रभु. जो जीवन से मुक्ति प्रदान अर्थात मोक्ष प्रदान कर दें वह हैं ईश्वर.






मुक्तेश्वर (Mukteshwar Temple) नाम की एक जगह उत्तराखंड में भी स्थित हैं. यहाँ 10 सदी में स्थापित मुक्तेश्वर महादेव का मंदिर स्थित हैं. मान्यता हैं यह मंदिर कत्यूरी राजाओ द्वारा बनाया गया हैं.


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