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Sunday, May 16, 2021

विश्व का पहला ग्रेनाइट से निर्मित बृहदेश्वर मंदिर

 Brihadeswar Temple

भारत देवो की भूमि रही हैं यहाँ के कण कण में ईश्वर विद्यमान हैं. भारत के हर राज्य में ईश्वर को समर्पित अनेक मंदिर, धाम-देवस्थान हैं. ऐसा ही एक अनुपम स्थान तमिलनाडु के तंजोर में स्थित बृहदीश्वरर का मंदिर हैं. यह एक हिन्दू मंदिर हैं. मंदिर का निर्माण ग्रेनाइट से किया गया हैं. मंदिर की शिल्पकला, वास्तुकला बहुत भव्य और अनूठी हैं. यूनेस्को द्वारा इसे विश्व धरोहर के रूप में सुरक्षित रखा गया हैं. मंदिर का निर्माण 1003 -1010 ईस्वी में प्रथम चोल शासक राजराज चोल ने करवाया था, इसलिए वृहदेश्वर मंदिर (Brihadeswar Temple) को राजराजेश्वर मंदिर भी कहा जाता हैं. मंदिर की उचाई लगभग 66 मीटर हैं, वृहदेशवर का मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं.


Brihadeswar Temple History


वृहदेश्वर मंदिर के इतिहास (History of Brihadeswar Temple)  को अगर हम देखे तो यह मंदिर का निर्माण राजराज चोल ने एक स्वपन के आधार पर बनाया था. राजराज चोल ने यह मंदिर यज्ञ और ईश्वर की उपासना के लिए बनाया था. चोल साम्राज्य का प्रतीक यह वृहदेश्वर मंदिर तमिल सभ्यता और वास्तुकला का एक अनूठा संगम हैं.


काँसा और बेहतरीन चित्रकारी से सुसज्जित यह मंदिर वास्तुकला और शिल्पकला का अनूठा उदहारण हैं. मंदिर में आकर्षण का प्रमुख केंद्र नंदी की बानी प्रतिमा हैं, जो एक ही शिला से बनायीं गयी हैं. इस प्रतिमा की ऊंचाई 16 लम्बी और 13 फ़ीट ऊंची हैं.

Brihadeswar Temple Facts


वृहदेश्वर मंदिर से जुड़े हुए कई तथ्य हैं, जो अपने आप में एक आश्चर्य हैं. आइये इन तथ्यों को जानते हैं.मंदिर में मूर्ति का नाम राजराजेश्वर हैं. वृहदेश्वर नाम इसे मराठाओ ने दिया था.

  • मंदिर के निर्माण में 1,30000 टन ग्रेनाइट लगा हुआ हैं, जबकि इस मंदिर के आस पास यहाँ से 100 किलोमीटर तक कोई ग्रेनाइट की सुरंग नहीं हैं
  • एक मिथक जो मंदिर के साथ जुड़ा हुआ हैं, वह ये हैं कि मंदिर के प्रमुख गुम्बद की छाया कभी जमीन पर नहीं पड़ती.
  • मंदिर के प्रमुख द्वार पर सुसज्जित नंदी की मूर्ति एक शिला को काटकर बनायीं गयी हैं. जो 16 फ़ीट लम्बी और 13 फ़ीट ऊंची हैं.



  • वृहदेश्वर मंदिर में मुख्य शिवलिंग की लम्बाई 12 फ़ीट की हैं
  • मंदिर को बनाने में 130,000 टन का पत्थर प्रयोग हुआ हैं. मंदिर के निर्माण कार्य में लगभग 7 वर्ष लगे. मंदिर की सरंचना इतनी मजबूत हैं, 7 बार भूकंप आने पर भी यह विशाल सरंचना मजबूती के साथ खड़ी हैं.
  • राजराजा चोल ने इसके अलावा मंदिर को 2500 एकड़ जमीन और मंदिर में दियो को जलाने के लिए घी की आपूर्ति हेतु 4000 गाय, 7000 बकरिया और भैसे दान की थी.

  • मंदिर को बनाने वाले राजा राजराजा चोल ने मंदिर में प्रबंधन के कार्य को सही ढंग से संचालित करने के लिए 192 कर्मचारियों की नियुक्ति की. उस समय प्रबंधन के लिए व्यक्तियो का नियुक्तिकरण यह भी राजराजा चोल की प्रबंधन नीति की कुशलता को दर्शाता हैं.

Brihadeswar Temple Information


बृहदेशवर मंदिर (Brihadeswar Temple)  हिन्दुओ का प्रसिद्ध मंदिर हैं, यह ग्रेनाइट से बना हुआ पहला मंदिर हैं. एक अन्य आश्चर्य का विषय यह भी हैं कि ग्रेनाइट को तराशना आसान नहीं हैं. क्युकी ख़ास किस्म के हीरे के टुकड़े लगे औजारों से ही ग्रेनाइट को तराशा जा सकता हैं. और उस समय बिना किसी आधुनिक औजारों से कैसे ग्रेनाइट को तराशकर ऐसे मूर्तियाँ बनायीं होगी , यह भी एक आश्चर्य का विषय हैं.



मंदिर के प्रवेश द्वार पर स्थित नंदी की मूर्ति जो एक पत्थर को ही तराशकर बनायीं गयी हैं. 16 फ़ीट लम्बी और 13 फ़ीट ऊंची नंदी की मूर्ति आपको आश्चर्य में डाल देगी .



विश्व के सबसे ऊंचे मंदिरो में से एक बृहदेश्वर का यह मंदिर अपनी चित्रकला और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध हैं. मंदिर के गर्भगृह में बनी शिव की विभिन्न मुद्राओ में बनी चित्रकारी अंकित हैं. दक्षिण भारत के सभी मंदिरो की यह विशेषता हैं, इनमे बना गोपुरम. ये गोपुरम मंदिर को अनुपम सौंदर्य प्रदान करते हैं. वृहदेश्वर मंदिर (Brihadeeswarar Temple) में बना गोपुरम 80 टन का हैं, जिसकी यह विशेषता हैं कि इसकी जमीन पर छाया नहीं पड़ती.

Gangaikonda Cholapuram Temple Timings



वृहदेश्वर मंदिर चोल राजाओ द्वारा बनाई गई एक अनुपम और उत्कृष्ट शैली हैं. मंदिर में की गयी चित्रकारी और वास्तुकला मंदिर (Brihadeeswarar Temple)  को उत्कृष्टता प्रदान करती हैं. मंदिर में प्रवेश का समय प्रातकाल 6 बजे से अपराह्न 12 बजे तक हैं. सायंकाल में 4 बजे से रात्रि 8 बजे से हैं.

वृहदेश्वर मंदिर (Brihadeeswarar Temple)  विश्व के ऊँचे मंदिर में से एक हैं. ग्रेनाइट से बना यह पहला मंदिर हैं. इस मंदिर में विभिन्न प्रकार की चित्रकारिया, मंदिर की वास्तुकला, शिल्प कला, ग्रेनाइट से की गयी नक्काशी इसे भव्य स्वरुप प्रदान करती हैं. चोल राजाओ द्वारा निर्मित यह मंदिर अनुपम और उत्कृष्ट शैली की सरंचना हैं.