Thursday, May 27, 2021

शक्तियों का केंद्र शत्रु विनाशक माँ बगलामुखी


देवी भगवती की उपासना के लिए सबसे प्रमुख पर्व हैं नवरात्रि 

नवरात्रि का प्रमुख पर्व वर्ष में चार बार आता हैं. चैत्र की नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि इसके अलावा माघ मास की नवरात्रि और आषाढ़ मास की नवरात्रि.

आषाढ़ और माघ मास की नवरात्रि गुप्त नवरात्रि कहलाती हैं, इस नवरात्रि में देवी भगवती की दसमहाविद्या की आराधना की जाती हैं. देवी बगलामुखी (Baglamukhi Mata ) दस महाविद्या में से एक हैं.


गुप्त नवरात्रि में देवी की आराधना तंत्र मन्त्र और चमत्कारिक शक्तियों के लिए की जाती हैं. गुप्त नवरात्रियों में देवी के साथ प्रमुख रूप से शिव की आराधना की जाती हैं. देवी की गुप्त नवरात्रियों के दौरान बहुत नियम और अनुसाशन से रहना और पूजा के दौरान नियमो का पालन करना चाहिए. अगर साधक पूरे नियमो का पालन करते हुए देवी के गुप्त नवरात्रियों में पूजा करे तो उसे सारी शक्तिया और तंत्र-मंत्र से सबंधित ज्ञान सहज ही प्राप्त हो जाता हैं.



Baglamukhi  Mata Virat Katha

देवी बगलामुखी की कथा के सम्बन्ध में जो कथा हैं, वह इस प्रकार हैं. सतयुग के दौरान एक बार महाविनाशकारी तूफान आया. यह सब देखकर भगवन विष्णु घबरा गए. इस तूफान का कोई सामना नहीं कर पाया, सब तरफ हाहाकार मच गयी. भगवन विष्णु शंकर जी की शरण में गए. शंकर जी ने उन्हें शक्ति की आराधना करने के लिए कहा. भगवन विष्णु ने त्रिपुरासुंदरी का ध्यान किया.


त्रिपुरासुंदरी ने विष्णु की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान किया और महापीत देवी के ह्रदय से चतुर्दशी की रात्रि को देवी बगलामुखी  (Baglamukhi Mata) के रूप में प्रकट हो गयी. और उसके बाद उन्होंने उस प्रलयंकारी तूफान को शांत किया. 

देवी बगलामुखी का अर्थ हैं, दुल्हन. जो अप्रितम सौंदर्य की देवी हैं. बगला संस्कृत भाषा के वल्गा शब्द का हिंदी अर्थ हैं दुल्हन. तांत्रिक इसे स्तम्भन की देवी मानते हैं.

देवी बगलामुखी  (Baglamukhi Mata) में शक्तियों का केंद्र हैं. देवी की उपासना शत्रुओ के विनाश के लिए, शत्रुओ पर विजय की प्राप्ति के लिए की जाती हैं. पीताम्बरा के नाम से प्रसिद्ध देवी बगलामुखी की शक्तिया असीमित हैं. तीनो लोक में इनके समान शक्तिशाली कोई नहीं हैं. माँ बगलामुखी यन्त्र शत्रुओ पर विजय के लिए और मुकदमो में विजय के लिए बहुत उपयोगी यन्त्र हैं.



 Baglamukhi Mata Ka Mandir


माँ बगलामुखी (Baglamukhi Mata)  के विश्व में तीन ही महत्वपूर्ण मंदिर हैं. ये सिर्फ मंदिर ही नहीं अपितु इन्हे सिद्ध पीठ भी कहा जाता हैं. यहाँ आने पर सभी भक्तो की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.  माँ बगलामुखी के दरबार में जाने पर कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटता. 

माँ बगलामुखी का एक प्रसिद्द मंदिर हिमांचल प्रदेश के काँगड़ा जिले में स्थित हैं. 

दूसरा मंदिर नलखेड़ा मध्य प्रदेश के शाजापुर में और 

तीसरा मंदिर भी मध्य प्रदेश के दतिया जिले में स्थित हैं.


Mata Baglamukhi Chalisa



माँ बगलामुखी चालीसा इस प्रकार हैं.

श्री गणेशाय नमः
श्री बगलामुखी चालीसा
नमो महाविधा बरदा , बगलामुखी दयाल |
स्तम्भन क्षण में करे , सुमइस ह्रीं रित अरिकुल काल
नमो नमो पीताम्बरा भवानी , बगलामुखी नमो कल्यानी
भक्त वत्सला शत्रु नशानी , नमो महाविधा वरदानी
अमृत सागर बीच तुम्हारा , रत्न जड़ित मणि मंडित प्यारा
स्वर्ण सिंहासन पर आसीना , पीताम्बर अति दिव्य नवीना
स्वर्णभूषण सुन्दर धारे , सिर पर चन्द्र मुकुट श्रृंगारे
तीन नेत्र दो भुजा मृणाला, धारे मुद्गर पाश कराला
भैरव करे सदा सेवकाई , सिद्ध काम सब विघ्न नसाई
तुम हताश का निपट सहारा , करे अकिंचन अरिकल धारा
तुम काली तारा भुवनेशी ,त्रिपुर सुन्दरी भैरवी वेशी
छिन्नभाल धूमा मातंगी , गायत्री तुम बगला रंगी
सकल शक्तियाँ तुम में साजें, ह्रीं बीज के बीज बिराजे
दुष्ट स्तम्भन अरिकुल कीलन, मारण वशीकरण सम्मोहन
दुष्टोच्चाटन कारक माता , अरि जिव्हा कीलक सघाता
साधक के विपति की त्राता , नमो महामाया प्रख्याता
मुद्गर शिला लिये अति भारी , प्रेतासन पर किये सवारी
तीन लोक दस दिशा भवानी , बिचरहु तुम हित कल्यानी
अरि अरिष्ट सोचे जो जन को , बुध्दि नाशकर कीलक तन को
हाथ पांव बाँधहु तुम ताके,हनहु जीभ बिच मुद्गर बाके
चोरो का जब संकट आवे , रण में रिपुओं से घिर जावे
अनल अनिल बिप्लव घहरावे , वाद विवाद न निर्णय पावे
मूठ आदि अभिचारण संकट . राजभीति आपत्ति सन्निकट
ध्यान करत सब कष्ट नसावे , भूत प्रेत न बाधा आवे
सुमरित राजव्दार बंध जावे ,सभा बीच स्तम्भवन छावे
नाग सर्प ब्रर्चिश्रकादि भयंकर , खल विहंग भागहिं सब सत्वर
सर्व रोग की नाशन हारी, अरिकुल मूलच्चाटन कारी
स्त्री पुरुष राज सम्मोहक , नमो नमो पीताम्बर सोहक
तुमको सदा कुबेर मनावे , श्री समृद्धि सुयश नित गावें
शक्ति शौर्य की तुम्हीं विधाता , दुःख दारिद्र विनाशक माता
यश ऐश्वर्य सिद्धि की दाता , शत्रु नाशिनी विजय प्रदाता
पीताम्बरा नमो कल्यानी , नमो माता बगला महारानी
जो तुमको सुमरै चितलाई ,योग क्षेम से करो सहाई
आपत्ति जन की तुरत निवारो , आधि व्याधि संकट सब टारो
पूजा विधि नहिं जानत तुम्हरी, अर्थ न आखर करहूँ निहोरी
मैं कुपुत्र अति निवल उपाया , हाथ जोड़ शरणागत आया
जग में केवल तुम्हीं सहारा , सारे संकट करहुँ निवारा
नमो महादेवी हे माता , पीताम्बरा नमो सुखदाता
सोम्य रूप धर बनती माता , सुख सम्पत्ति सुयश की दाता
रोद्र रूप धर शत्रु संहारो , अरि जिव्हा में मुद्गर मारो
नमो महाविधा आगारा,आदि शक्ति सुन्दरी आपारा
अरि भंजक विपत्ति की त्राता , दया करो पीताम्बरी माता
रिद्धि सिद्धि दाता तुम्हीं , अरि समूल कुल काल
मेरी सब बाधा हरो , माँ बगले तत्काल




Baglamukhi Sadhna

ऊँ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां
वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय
बुद्धि विनाशय ह्रीं ओम् स्वाहा

मन्त्र का उच्चारण साफ़ और स्पष्ट होना चाहिए. गलत मंत्रोचारण से अर्थ का अनर्थ हो सकता है.


बगलामुखी मंत्र का जाप करने वाला साधक सर्वशक्ति संपन्न हो जाता है। यह मंत्र अपने आप में ही बहुत बड़ी शक्ति है। पर यह भी आवश्यक है कि माँ बगलामुखी की पूजा या यंत्र मंत्र साधना गुरु की आज्ञा लेकर ही करनी चाहिए.



माँ बगलामुखी की साधना में ध्यान देने योग्य बातें निम्न प्रकार हैं:

1-आराधना काल में पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.

2-साधना डरपोक किस्म के लोगों को नहीं करनी चाहिए। बगलामुखी देवी अपने साधक की परीक्षा भी लेती हैं। इसलिए साधक को भयभीत नहीं होना चाहिए.

3-माँ बगलामुखी की साधना रात्रि 9 से 12 बजे के दौरान करनी चाहिए। साधना गुप्त रूप से होनी चाहिए। साधना में एक समय भोजन करे। पीले वस्त्रों को ही धारण करना चाहिए.

शत्रुओ का नाश करने वाली परमात्मा की अजेय शक्ति ही माँ बगलामुखी है, जीवन को सरल और शत्रुओ के दमन के लिए माँ बगलामुखी की आराधना का विशेष महत्व हैं. 

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