पूरी होती है मनोकामना
अवढर दानी भगवान शंकर की नगरी काशी के बारे में मान्यता है कि यहां समूचा ब्राह्मांड बसता है। त्रैलोक्य से न्यारी काशी के कण-कण में भोलेनाथ विद्यमान हैं। यहीं बाबा विश्वनाथ के पूज्य मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के बाल स्वरूप का विग्रह भी विद्यमान है। मां पार्वती स्वरूपा आदि शक्ति के नवदुर्गा और नवगौरियों के विग्रह भी विद्यमान हैं। यहां आदि देव बाबा विश्वनाथ हैं तो उनकी जटा से निकलीं मां गंगा भी हैं। वह भी उत्तर वाहिनी गंगा। काशी ही है जहां गंगा उत्तर वाहिनी हैं। अर्द्ध चंद्राकार काशी के घाट यहीं मिलते हैं।
यहां श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भी मनाई जाती है। उसके लिए गोपाल मंदिर भी है। फिर प्रभु श्री राम जो खुद शंकर के पूज्य हैं उनका जन्म और उनकी आराधना भला कैसे न हो। अरे यहां तो प्रभु श्री राम के नाम एक ऐसा मंदिर है जहां एक बैंक है भी है जहां खुलता है रामनाम का खाता। जमा होता है राम नाम का पुण्य। रामनवमी को यहां उमड़ते हैं लाखों राम भक्त।
काशी में समूचा ब्रह्मांण बसा है यूं ही नहीं कहा गया है।। यहा शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा के नौ विग्रह हैं जिनका शारदीय नवरात्र में दर्शन होता है तो नौ गौरियों का विग्रह भी है जिनका दर्शन वासंतिक नवरात्र में किया जाता है। नौ दिनों तक शक्ति की आराधना में लीन काशीवासी नवमी के दिन राम नवमी मनाते हैं। महा रामनवमी। ठीक उसी तरह जैसे शारदीय नवरात्र के बाद दशहरा मनाया जाता है। रामनवमी को राम जन्म का उत्सव भी पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन श्री काशी विश्वनविश्वनाथ गली में स्थित राम रमापति बैंक में लगती है राम भक्तों की कतार। इस मंदिर में जहां प्रभु राम के बाल स्वरूप प्रतिमा का दर्शन होता है वहीं बैंक में रामनाम की पर्ची जमा की जाती है।
93 साल पुराना है यह मंदिर
बताता जाता है कि तकरीबन 93 साल पहले 1926 में राम नाम का खाता खोलने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। लेकिन यहां हर किसी के लिखे राम नाम को जमा नहीं किया जाता। इसके लिए बाकायदा खाता खुलता है। खाता खोलने के लिए ठीक बैंक खाते के समान ही बैंक का फार्म भरा जाता है। इस फार्म पर अपना नाम-पता दर्ज करारने के साथ मनोरथ भी लिखना होता है। यह सब रिकार्ड बैं की नियमावली की तरह गोपनीय होता है।
आसान नहीं खाता खुलवाना
यहां खाता खुलवाना आसान नहीं। इसके लिए बैं की अपनी नियमावली है। इसके तहत खाता धारक के आचार-विचार, मन, वचन और कर्म के साथ आहार-व्यवहार पर भी ध्यान दिया जाता है। इन सभी बंदिशों को पूरा करने का शपथ लेने वाला ही यहां खाता खोल सकता है। खाता खोलने के लिए बैंक से बाकायदा राम नाम लिखनने का कागज मिलता है। उस पर कागज पर राम नाम लिखना होता है। बैंक के कर्मचारी विकास महाराज बताते हैं कि राम नाम का कर्ज लेने वालों के लिए कुछ नियम हैं, जिसके तहत वह मदिरा, मांस, मछली, प्याज, लहसुन आदि का पूर्णतया परित्याग करना होता है।
ये है विश्वास, ये है प्रक्रिया
इस बैंक से जुड़े भक्तों का विश्वास है कि जिस राम नाम की पूंजी को वो यहां जमा करते हैं उससे उनका इह व पर लोक दोनों सुधर जाएाग। बैंक में जमा राम नाम की पूंजी का ब्याज संबंधित राम भक्त खाताधारक का परलोक बेहतर कर देगा। यह बैंक 24 घंटे खुला रहता है ताकि भक्त कभी भी आकर राम नाम का डिपाजिट कर सकें।
श्री काशी विश्वनाथ गली स्थित इस राम रमापति बैंक में लगती है प्रभु राम के भक्तों की भीड़। मंदिर में जहां प्रभु राम के बाल रूप की प्रतिमा के दर्शन होते हैं वहीं रामनाम की पर्ची बैंक में जमा होती है। इस बैंक में भक्त अपनी आस्था का खजाना जमा करते हैं। आस्था के इस बैंक में जमा धन को न चोर चुरा सकता है न ही डकैत लूट सकता है। ऐसा माना जाता है कि इस बैंक से कर्ज लेकर पूरा भरने वाले भक्तों की मनोकामना जरूर पूर्ण होती है। भक्त यहां से सवा लाख राम नाम का कर्ज रामनवमी के मौके पर लेता है और आठ महीने दस दिन यानी 250 दिन राम नाम लिख कर इसी बैंक में जमा करना पड़ता है। इस क्रिया को लखौरी कहते हैं।
इस तरह सवा लाख बार राम का नाम लिखना होता है जिसके लिए राम बैंक की मुहर लगे कागज, लकड़ी की कलम और लाल स्याही बैंक की तरफ से मुफ्त में दी जाती है। इस अनोखे बैं के बारे में बताया जाता है कि इस बैंक की शुरूआत में की गई थी। तब इस मबैंक में महज दो खाते दार थे। लेकिन आज यहां पूरे देश के एक लाख से ज्यादा लोग जुड़ चुके है। लोगों का विश्वास है कि यहां से जुड़ने के बाद उनके साथ सब कुछ अच्छा ही होता है। यहां अब तक 30 अरब के करीब श्रीराम नाम का कर्ज जमा हो चुका है।
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