नवरात्रि का प्रमुख पर्व वर्ष में चार बार आता हैं. चैत्र की नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि इसके अलावा माघ मास की नवरात्रि और आषाढ़ मास की नवरात्रि.
आषाढ़ और माघ मास की नवरात्रि गुप्त नवरात्रि कहलाती हैं, इस नवरात्रि में देवी भगवती की दसमहाविद्या की आराधना की जाती हैं. देवी बगलामुखी (Baglamukhi Mata ) दस महाविद्या में से एक हैं.
देवी बगलामुखी की कथा के सम्बन्ध में जो कथा हैं, वह इस प्रकार हैं. सतयुग के दौरान एक बार महाविनाशकारी तूफान आया. यह सब देखकर भगवन विष्णु घबरा गए. इस तूफान का कोई सामना नहीं कर पाया, सब तरफ हाहाकार मच गयी. भगवन विष्णु शंकर जी की शरण में गए. शंकर जी ने उन्हें शक्ति की आराधना करने के लिए कहा. भगवन विष्णु ने त्रिपुरासुंदरी का ध्यान किया.
देवी बगलामुखी (Baglamukhi Mata) में शक्तियों का केंद्र हैं. देवी की उपासना शत्रुओ के विनाश के लिए, शत्रुओ पर विजय की प्राप्ति के लिए की जाती हैं. पीताम्बरा के नाम से प्रसिद्ध देवी बगलामुखी की शक्तिया असीमित हैं. तीनो लोक में इनके समान शक्तिशाली कोई नहीं हैं. माँ बगलामुखी यन्त्र शत्रुओ पर विजय के लिए और मुकदमो में विजय के लिए बहुत उपयोगी यन्त्र हैं.
Baglamukhi Mata Ka Mandir
माँ बगलामुखी का एक प्रसिद्द मंदिर हिमांचल प्रदेश के काँगड़ा जिले में स्थित हैं.
दूसरा मंदिर नलखेड़ा मध्य प्रदेश के शाजापुर में और
तीसरा मंदिर भी मध्य प्रदेश के दतिया जिले में स्थित हैं.
Mata Baglamukhi Chalisa
माँ बगलामुखी चालीसा इस प्रकार हैं.
मन्त्र का उच्चारण साफ़ और स्पष्ट होना चाहिए. गलत मंत्रोचारण से अर्थ का अनर्थ हो सकता है.
माँ बगलामुखी की साधना में ध्यान देने योग्य बातें निम्न प्रकार हैं:
1-आराधना काल में पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.
2-साधना डरपोक किस्म के लोगों को नहीं करनी चाहिए। बगलामुखी देवी अपने साधक की परीक्षा भी लेती हैं। इसलिए साधक को भयभीत नहीं होना चाहिए.
3-माँ बगलामुखी की साधना रात्रि 9 से 12 बजे के दौरान करनी चाहिए। साधना गुप्त रूप से होनी चाहिए। साधना में एक समय भोजन करे। पीले वस्त्रों को ही धारण करना चाहिए.
शत्रुओ का नाश करने वाली परमात्मा की अजेय शक्ति ही माँ बगलामुखी है, जीवन को सरल और शत्रुओ के दमन के लिए माँ बगलामुखी की आराधना का विशेष महत्व हैं.