Sunday, May 16, 2021

विश्व का पहला ग्रेनाइट से निर्मित बृहदेश्वर मंदिर

 Brihadeswar Temple

भारत देवो की भूमि रही हैं यहाँ के कण कण में ईश्वर विद्यमान हैं. भारत के हर राज्य में ईश्वर को समर्पित अनेक मंदिर, धाम-देवस्थान हैं. ऐसा ही एक अनुपम स्थान तमिलनाडु के तंजोर में स्थित बृहदीश्वरर का मंदिर हैं. यह एक हिन्दू मंदिर हैं. मंदिर का निर्माण ग्रेनाइट से किया गया हैं. मंदिर की शिल्पकला, वास्तुकला बहुत भव्य और अनूठी हैं. यूनेस्को द्वारा इसे विश्व धरोहर के रूप में सुरक्षित रखा गया हैं. मंदिर का निर्माण 1003 -1010 ईस्वी में प्रथम चोल शासक राजराज चोल ने करवाया था, इसलिए वृहदेश्वर मंदिर (Brihadeswar Temple) को राजराजेश्वर मंदिर भी कहा जाता हैं. मंदिर की उचाई लगभग 66 मीटर हैं, वृहदेशवर का मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं.


Brihadeswar Temple History


वृहदेश्वर मंदिर के इतिहास (History of Brihadeswar Temple)  को अगर हम देखे तो यह मंदिर का निर्माण राजराज चोल ने एक स्वपन के आधार पर बनाया था. राजराज चोल ने यह मंदिर यज्ञ और ईश्वर की उपासना के लिए बनाया था. चोल साम्राज्य का प्रतीक यह वृहदेश्वर मंदिर तमिल सभ्यता और वास्तुकला का एक अनूठा संगम हैं.


काँसा और बेहतरीन चित्रकारी से सुसज्जित यह मंदिर वास्तुकला और शिल्पकला का अनूठा उदहारण हैं. मंदिर में आकर्षण का प्रमुख केंद्र नंदी की बानी प्रतिमा हैं, जो एक ही शिला से बनायीं गयी हैं. इस प्रतिमा की ऊंचाई 16 लम्बी और 13 फ़ीट ऊंची हैं.

Brihadeswar Temple Facts


वृहदेश्वर मंदिर से जुड़े हुए कई तथ्य हैं, जो अपने आप में एक आश्चर्य हैं. आइये इन तथ्यों को जानते हैं.मंदिर में मूर्ति का नाम राजराजेश्वर हैं. वृहदेश्वर नाम इसे मराठाओ ने दिया था.

  • मंदिर के निर्माण में 1,30000 टन ग्रेनाइट लगा हुआ हैं, जबकि इस मंदिर के आस पास यहाँ से 100 किलोमीटर तक कोई ग्रेनाइट की सुरंग नहीं हैं
  • एक मिथक जो मंदिर के साथ जुड़ा हुआ हैं, वह ये हैं कि मंदिर के प्रमुख गुम्बद की छाया कभी जमीन पर नहीं पड़ती.
  • मंदिर के प्रमुख द्वार पर सुसज्जित नंदी की मूर्ति एक शिला को काटकर बनायीं गयी हैं. जो 16 फ़ीट लम्बी और 13 फ़ीट ऊंची हैं.



  • वृहदेश्वर मंदिर में मुख्य शिवलिंग की लम्बाई 12 फ़ीट की हैं
  • मंदिर को बनाने में 130,000 टन का पत्थर प्रयोग हुआ हैं. मंदिर के निर्माण कार्य में लगभग 7 वर्ष लगे. मंदिर की सरंचना इतनी मजबूत हैं, 7 बार भूकंप आने पर भी यह विशाल सरंचना मजबूती के साथ खड़ी हैं.
  • राजराजा चोल ने इसके अलावा मंदिर को 2500 एकड़ जमीन और मंदिर में दियो को जलाने के लिए घी की आपूर्ति हेतु 4000 गाय, 7000 बकरिया और भैसे दान की थी.

  • मंदिर को बनाने वाले राजा राजराजा चोल ने मंदिर में प्रबंधन के कार्य को सही ढंग से संचालित करने के लिए 192 कर्मचारियों की नियुक्ति की. उस समय प्रबंधन के लिए व्यक्तियो का नियुक्तिकरण यह भी राजराजा चोल की प्रबंधन नीति की कुशलता को दर्शाता हैं.

Brihadeswar Temple Information


बृहदेशवर मंदिर (Brihadeswar Temple)  हिन्दुओ का प्रसिद्ध मंदिर हैं, यह ग्रेनाइट से बना हुआ पहला मंदिर हैं. एक अन्य आश्चर्य का विषय यह भी हैं कि ग्रेनाइट को तराशना आसान नहीं हैं. क्युकी ख़ास किस्म के हीरे के टुकड़े लगे औजारों से ही ग्रेनाइट को तराशा जा सकता हैं. और उस समय बिना किसी आधुनिक औजारों से कैसे ग्रेनाइट को तराशकर ऐसे मूर्तियाँ बनायीं होगी , यह भी एक आश्चर्य का विषय हैं.



मंदिर के प्रवेश द्वार पर स्थित नंदी की मूर्ति जो एक पत्थर को ही तराशकर बनायीं गयी हैं. 16 फ़ीट लम्बी और 13 फ़ीट ऊंची नंदी की मूर्ति आपको आश्चर्य में डाल देगी .



विश्व के सबसे ऊंचे मंदिरो में से एक बृहदेश्वर का यह मंदिर अपनी चित्रकला और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध हैं. मंदिर के गर्भगृह में बनी शिव की विभिन्न मुद्राओ में बनी चित्रकारी अंकित हैं. दक्षिण भारत के सभी मंदिरो की यह विशेषता हैं, इनमे बना गोपुरम. ये गोपुरम मंदिर को अनुपम सौंदर्य प्रदान करते हैं. वृहदेश्वर मंदिर (Brihadeeswarar Temple) में बना गोपुरम 80 टन का हैं, जिसकी यह विशेषता हैं कि इसकी जमीन पर छाया नहीं पड़ती.

Gangaikonda Cholapuram Temple Timings



वृहदेश्वर मंदिर चोल राजाओ द्वारा बनाई गई एक अनुपम और उत्कृष्ट शैली हैं. मंदिर में की गयी चित्रकारी और वास्तुकला मंदिर (Brihadeeswarar Temple)  को उत्कृष्टता प्रदान करती हैं. मंदिर में प्रवेश का समय प्रातकाल 6 बजे से अपराह्न 12 बजे तक हैं. सायंकाल में 4 बजे से रात्रि 8 बजे से हैं.

वृहदेश्वर मंदिर (Brihadeeswarar Temple)  विश्व के ऊँचे मंदिर में से एक हैं. ग्रेनाइट से बना यह पहला मंदिर हैं. इस मंदिर में विभिन्न प्रकार की चित्रकारिया, मंदिर की वास्तुकला, शिल्प कला, ग्रेनाइट से की गयी नक्काशी इसे भव्य स्वरुप प्रदान करती हैं. चोल राजाओ द्वारा निर्मित यह मंदिर अनुपम और उत्कृष्ट शैली की सरंचना हैं.

Thursday, May 13, 2021

सुचिन्द्रम मंदिर : त्रिदेव यहाँ पधारे थे शिशु रूप में

 


सृष्टि के त्रिदेव के रूप में ब्रह्मा ,विष्णु, महेश जी माने जाते हैं, वैसे तो ब्रह्मा , विष्णु और महेश के अनेको मंदिर भारत की भूमि में हैं पर जहा पर त्रिदेव एक साथ विद्यमान हो ऐसी पावन भूमि कन्याकुमारी के नजदीक सुचिन्द्रम (Suchindram Temple) हैं, जहा ब्रह्मा , विष्णु और महेश तीनो देवो की मूर्ति एक साथ विद्यमान हैं सुचिन्द्रम में तीनो देव लिंग के रूप में विद्यमान हैं.

Suchindram Temple Story - History of Suchindram Temple


सुचिन्द्रम मंदिर के इतिहास (history of Suchindram Temple)  को अगर हम जानना चाहे तो प्राचीन समय में यहाँ घना वन था, जहा ऋषि अत्रि अपनी पत्नी सती अनुसुइया के साथ रहते थे.देवी अनुसईया पति परायण स्त्री थी. उन्हें किसी भी व्यक्ति का शरीर परिवर्तित करने की शक्ति प्राप्त थी. जब त्रिदेवों की पत्नी को इस बात की जानकारी हुयी तो उन्होंने त्रिदेवो को सती अनुसुईया की शक्ति की परीक्षा लेने के लिए भेजा. तब ऋषि अत्रि हिमालय तपस्या करने गए थे .तब त्रिदेव साधु का रूप धारण कर सती अनुसुइया के पास भिक्षा मांगने के लिए गए , उस वक़्त सती अनुसुइया स्नान कर रही थी , त्रिदेवो ने उनसे उसी रूप में आकर भिक्षा देने के लिए कहा ,


प्रश्न यह था की देवी अनुसुइया अगर उसी रूप में त्रिदेव के सामने आती तो तो उनका पतिव्रत धर्म नष्ट होता , और अगर नहीं आती तो ब्राह्मणो को भिक्षा नहीं देने का पाप होता , तब देवी सती ने अपनी शक्ति से तीनो देवो को शिशु रूप में परिवर्तित कर दिया .जब त्रिदेवो की पत्नियों को अपने पति के शिशु रूप में परिवर्तित होने की जानकारी मिली तो वे व्याकुल होकर देवी सती अनुसुइया के पास आयी और उनसे क्षमा मांगने लगी. देवी अनुसुइया ने उन्हें क्षमा कर दिया और तीनो देवो को वापिस उनके रूप में परिवर्तित कर दिया ,लेकिन उन्होंने त्रिदेवो को प्रतीक रूप में अपने आश्रम में रहने को कहा . तब ब्रह्मा , विष्णु , महेश प्रतीक रूप में उसी स्थान पर विद्यमान हो गए .


एक अन्य कथा में जब देवराज इंद्र को ऋषि गौतम ने श्राप दिया तो , वे श्राप से मुक्ति पाने के लिए सुचिन्द्रम में तपस्या करने लगे और तत्पश्च्यात घृत से स्नान किया तब देवराज इंद्र शापमुक्त होकर अपने लोक स्वर्ग को चले गए . उसके बाद से इस स्थान का नाम सुचिन्द्रम पड़ा .


Suchindram Temple Dress Code

सुचिन्द्रम मंदिर (Suchindram Temple dress code) में प्रवेश को लेकर वेशभूषा का भी विशेष ध्यान दिया जाता हैं.कोई भी पाश्चात्य वेशभूषा को पहनकर मंदिर में प्रवेश करना वर्जित हैं. मंदिर में प्रवेश के साथ ही पुरुषो के लिए धोती या कुर्ता और महिलाओ के लिए साड़ी यहाँ की वेशभूषा हैं.

Special Features of Suchindram Temple


सुचिन्द्रम अनूठी स्थापत्य कला का एक केंद्र हैं.कन्याकुमारी से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सुचिन्द्रम त्रिदेवो का मंदिर हैं. मंदिर में एक पुराना वृक्ष स्थापित हैं, जिसके खोखले भाग में त्रिदेव विराजमान हैं . मंदिर में हनुमान जी की 18 फ़ीट ऊँची मूर्ति स्थापित हैं.मंदिर में नवग्रह की मुर्तिया भी विराजमान हैं,


मंदिर की अन्य विशेषता के रूप में मंदिर में मौजूद चार संगीतमय स्तम्भ हैं.इन संगीतमय स्तम्भों से अलग अलग वाद्य यंत्रो की ध्वनि सुनाई देती हैं, प्राचीन काल में इन स्तम्भों का प्रयोग पूजा अर्चना में संगीत की ध्वनि उत्पन्न करने के लिए किया जाता था.

मंदिर का गोपुरम 134 फ़ीट ऊँचा हैं.मंदिर में स्थित नंदी की प्रतिमा 800 वर्ष पुरानी हैं.नंदी की मूर्ति बहुत विशाल हैं , मंदिर के पास ही एक सरोवर हैं, जिसके मध्य में एक दिव्य मंडप स्थित हैं. मंदिर में भगवन विष्णु ( bhagwaan Vishu ka mandir) की अष्टधातु की एक प्रतिमा विद्यमान हैं. इसके अलावा सीता राम की मूर्ति,स्थापित हैं, मंदिर में 30 पूजा स्थल हैं.


सुचिन्द्रम मंदिर (Suchindram Temple) की गणना त्रिदेवो के धार्मिक स्थल के रूप में की जाती हैं. माँ अनुसुइया के प्रभाव से त्रिदेवो के शिशु रूप में विराजित अलौकिक स्थान सुचिन्द्रम त्रिदेवो की नगरी कही जाये तो अतिशियोक्ति नहीं होगी.सुचिन्द्रम में स्थापित मंदिर भी स्थापत्य कला का एक उत्कृष्ट उदहारण हैं. मंदिर में मौजूद संगीतमय स्तम्भ भी मंदिर के आकर्षण का केंद्र हैं.



Saturday, May 8, 2021

13 Beautiful Ancient Temples In India

 We have learnt in Indian History that Temples in Ancient Times were once Social Hubs where people congregated. They were also sites where the Arts of Dance, Music and Combat were honed and have been passed down for Generations. Today, These Temples remind us of our past and the Architectural Brilliance of Craftsmen in those days.

1. Brihadeshwara Temple, Tanjore, Tamil Nadu 

Built by King Rajaraja Chola in 1002 AD, this Temple was dedicated to God Shiv and is the finest example of Dravidian Art. The Brihadeshwara Temple combines the best in the Tradition of Temple Building - Architecture, Sculpture, Painting and other Allied Arts. It is composed of many interconnected Structures such as the Nandi Pavilion, a Pillared Portico and a Large Hall. Its Vimana (the Roof like Structure that Towers above the Sanctum Sanctorum or Main Shrine) is 66 metres high. 



2. Kailashnath Temple, Ellora

This was built as a Dedication to God Shiv, The Destroyer. It is a tribute to man's greatness, even though academia have not given it its Due Place in our School History Syllabus. It was carved in perfect proportion and alignment to its adjacent Structures, which include Columns, Flying Bridges, Stone Arches and Statues and Buildings - all made out of a Single Piece of Rock.



3. Chennakeshava Temple, Karnataka

Situated on the banks of the Yagachi River, this Temple was an early Masterpiece of the Hoysala Period. It was built by the Vijayanagara Ruler to commemorate their Victory over the Cholas and is solely dedicated to God Vishnu as most of the figural carvings depict aspects of God Vishnu, particularly the incarnations and the God seated with Goddess Lakshmi.



4. Tugnath Temple, Uttarakhand

At an elevation of 3680 metres above Sea Level, the Tugnath Temple is the Highest Elevated of the Panch Kedar, the others are Madhya Maheshwar, Kedarnath, Rudranath and Kalpeshwar. The Temple is connected to the Ramayana where Lord Ram meditated to release the curse of Brahmahatya for having slaughtered Ravan. The Temple is quite small and hence only 10 people are allowed in at a time. 



5. Adi Kumbeswarar, Tamil Nadu

Located in the Temple Town of India, Kumbha Konam, this Temple dates back to the Vijay Nagar Period. Adi Kumbeswarar is the presiding deity of the Temple and the Shrine is located in the Centre. Kumbeswarar is in the form a Lingam believed to have been made by God Shiv himself when he mixed the Nectar of Immortality and Sand.



6. Jagatpita Brahma Mandir, Pushkar, Rajasthan

Although the Structure of this Temple dates back to the 14th century, this Temple is said to be 2000 years old. The Temple is mainly built of Marble and Stone Slabs. It has a distinct Red Pinnacle and a Bird Motif. The Temple Sanctum Sanctorum holds the central images of Brahma and his Second Consort Gayatri. It witnesses a festival dedicated to Brahma during the Kartik Purnima.



7. Varadharaja Perumal Temple, Tamil Nadu

Varadharaja Perumal Temple is a Hindu Temple dedicated to Bhagwan Vishnu located in the Holy City of Kanchipuram. It is one of the Divya Desams, the 108 Temples of God Vishnu believed to have been visited by the 12 Poet Saints or Alwars. It is believed that the Lizard Sculptures that adorn the ceilings of the Temple when touched forgive The Sins of Your Past Life. 



8. Konark Sun Temple, Odisha

This Temple was built by King Narasimha Deva-I of the Eastern Ganga Dynasty around AD 1250. The Temple is in the shape of a Gigantic Chariot (Rath) with elaborately carved Stone Wheels, Pillars and Walls. A major part of the structure is now in Ruins. The Temple is a UNESCO World Heritage Site.






9. Dilwara Temples near Mount Abu, Rajasthan

Located about 2.5 km from Mount Abu, each of these 5 Temples are Unique in their own way and were built between the 11th and 13th century AD and are remarkable for their Stunning Use of Marble. These 5 Temples (Vimal Vasahi, Luna Vasahi, Pittalhar Temple, Parshva Nath Temple and Mahavir Swami Temple) are considered The Most Beautiful Jain Pilgrimage sites in the World. 



10. Pancha Ratna Temple, Bankura, West Bengal

Built in 1643 by King Raghunath Singha, this Temple stands on a low square plinth and consists of an ambulatory pathway with a porch opened by 3 arches on the 4-Sides of the Temple. The Walls are Richly Decorated with Terracotta Carvings featuring aspects of Lord Krishna’s Life.



11. Badami Cave Temples, Karnataka

The Badami Cave Temples are a Complex of Temples located at Badami, a town in the Bagalkot District in the northern part of Karnataka, India. They are considered an example of Indian Rock-Cut Architecture, especially Badami Chalukya Architecture.




12. Vittala Temple, Hampi, Karnataka

Perhaps one of the most popular of all the Temples in the Hampi Complex, this houses the famous Musical Pillars that have Amazing Acoustics. The British wanted to find out the reason behind this and so they cut 2 Pillars to check if there was anything inside that was Producing the Sound. They found nothing but Hollow Pillars. The road leading to the Temple was once a Market where Horses were traded. Even today we can see the ruins of the market on both the sides of the road. The Temple contains images of Foreigners like Persians Selling Horses.




13. Orchha Temples, Madhya Pradesh

Orchha is another Famous Tourist Spot located near the Famous Khajuraho Temple. The town has Chaturbhuj Temple, Lakshmi Temple and Ram Raja Temple. The Chaturbhuj Temple is imposing with tall spires built atop a high platform. Its exterior is richly ornamented with Lotus Symbols. The Raja Ram Temple resembles a palace as the Ram is worshiped as a King here. The Lakshmi Temple is an odd mixture of Temple and Fort and an Unique Mixture of Concentric Forms. It consists of an Octagonal Central Tower inside A Triangular Temple. In line with this Eccentricity, the Entrance Gate is set in a corner rather than the Wall.






























Sunday, May 2, 2021

Triyuginarayan Temple - Wedding Destination of Bhagwan Shiva


Triyuginarayan Temple (Sanskrit: त्रियुगी-नारायण) is a Hindu Temple located in the Triyuginarayan Village in Rudraprayag District, Uttarakhand, IndiaThis picturesque village is perched at an elevation of 1,980 and offers panoramic views of snow covered mountains of the beauteous Garhwal Region. 


The Ancient Temple is dedicated to God Vishnu. Its fame is credited to the legend of God Shiva’s marriage to Goddess Parvati witnessed by Vishnu at this venue and is thus a popular Hindu Pilgrimage SitesA special feature of this Temple is a Perpetual Fire, that burns in front of the Temple. The Flame is believed to burn from the times of the Divine Marriage. Thus, the Temple is also known as Akhand Dhuni Temple.



The temple courtyard is also the source of a water stream, which fills three sacred bathing ponds (kunds) nearby.




Etymology

The word "Triyugi Narayan" is formed of 3 Words "Tri" means Three, "Yugi" denotes the period of time – Yuga and "Narayan" is another name of Vishnu. Pilgrims have been offering wood to the fire in the Havana-Kund (fireplace) since the 3 Yugas – hence the place is given the name "Triyugi Narayan". Yuga in Hindu philosophy is the name of an Epoch or Era within a cycle of 4 Ages. The 4-Yugas are Satya Yuga (1,728,000 human years), Treta Yuga (1,296,000 years), the Dvapara Yuga (864,000 years) and finally Kali Yuga (432,000 years), which is the present Yuga.




The name "Akhand Dhuni Temple" also originates from the eternal flame legend, "Akhand" means Perpetual and "Dhuni" means Flame.



Legend

According to Hindu Dharma, Goddess Parvati was daughter of Himavat or Himavan – the personification of the Himalayas. She was the rebirth of Sati, the first wife of Shiva – who sacrificed her life when her father insulted Shiva. Parvati initially tried to allure Shiva by her beauty, but failed. Finally, she won Shiva by practicing rigorous penance at Gauri Kund, which is 5 kilometres (3.1 mi) away from Triyuginarayan. Pilgrims visiting Triyuginaryan Temple also visit the Gauri Kund Temple, dedicated to Parvati, which is the base camp for Trek to Kedarnath Temple. Mythology states that Shiva proposed to Parvati at Guptakashi, before they got married in the small Triyuginarayan Village at the confluence of Mandakini and Sone-Ganga Rivers.



Triyuginarayan is believed to be the capital of Himavat. It was the venue of the celestial marriage of Shiva and Parvati, during the Satya Yuga, witnessed in the presence of the holy fire that still burns eternally in front of the temple in a Havana-Kund or Agni-Kund, a four-cornered fireplace on the ground. Vishnu formalized the wedding and acted as Parvati's brother in the ceremonies, while the creator-God Brahma acted as the priest of the wedding, that was witnessed by all the sages of the times. The exact location of the wedding is marked by a stone called Brahma Shila, in front of the Temple. 



The greatness of this place is also recorded in a Sthala-Purana (a scripture specific to a pilgrimage centre). According to the scripture, pilgrims who visit this Temple consider the ashes from the burning fire as holy and carry it with them. It is also believed that ashes from this fire are supposed to promote conjugal bliss. Before the marriage ceremony, here were no people who witnessed the incident, the Gods are believed to have taken bath in 4-Kunds or Small Ponds namely, Rudra-Kund, Vishnu-Kund and Brahma-Kund. The inflow into the 3-Kunds is from the Saraswati-Kund, which – according to legend – originated from Vishnu's Navel. Hence, the water of these Kunds is considered to cure infertility. The ashes from Havana-Kund are supposed to promote Conjugal Bliss.



Structure

The Triyuginarayan Temple resembles the Temple of Kedarnath in Architectural Style and hence attracts a lot of devotees. The present shrine is also called as Akhand Dhuni Temple. It is believed to have been built by Adi Shankaracharya. Adi Shankaracharya is credited with building many Temples in the Uttarakhand Region. The Shrine Houses a silver, 2-foot image of God Vishnu (Narayana), accompanied with consort – Goddess of wealth Lakshmi and the Goddess of Music and Learning – Saraswati.



In front of the Temple, the Havana-Kund with the Eternal Flame - the witness of the wedding of Shiva and Parvati - is situated. Devotees add Samidha (sacrificial offerings of wood) to the flame and collect the ashes as blessings. A stone called the Brahma Shila – in front of temple – is regarded as the exact spot of the divine marriage. A water stream called Saraswati Ganga originates in the courtyard of the Temple. It fills all the Holy Ponds in the Vicinity. The Ponds of Rudra Kund, Vishnu Kund, Brahma Kund and Saraswati Kund are holy spots situated near the Temple.Rudra Kund is for bathing, Vishnu for cleansing, Brahma for sipping and Saraswati for offering libations. There is no place in the history of religion regarding witnesses to the event. 



Geography[edit]

The Triguninarayan Village is located at an altitude of 1,980 metres (6,500 ft) about 5 kilometres (3.1 mi) away from Sonprayag, the confluence of Mandakini and Songanga Rivers. The geographical belt is 5 kilometres (3.1 mi) away from Sonprayag that extends to 14 kilometres (8.7 mi) between Triyugninarayan and Toshi Villages with an average altitude of 2,200 metres (7,200 ft) that has favourable agro-climatic conditions for growing horticultural crops such as apple and stone fruits. During the three winter months, the area is covered by snow.



Access[edit]

Access to the Triyuginarayan Village where the Temple is located is about 12 kilometres (7.5 mi) from Sonprayag on motorable road till the Temple. There exist a few Trek Routes too, like a short trek of 5 kilometres (3.1 mi) via Sonprayag on the Ghuttur – Kedarnath bridle path that passes through thick forest area is involved to reach the Temple precincts. From Kedarnath, which is to the south of this Temple the total trekking distance is about 25 kilometres (16 mi). Ghuttur is around 12 kilometres (7.5 mi) from Sonprayag, which is connected by road with Haridwar and other important hill stations of the Garhwal and Kumaon Hills. The nearest airport is Dehra Dun, 244 kilometres (152 mi) from Triyuginarayan, but it is better to start the journey from Delhi. Rishikesh is the nearest railway station, 261 kilometres (162 mi) from the site.



The Triguninarayan Temple is also accessed by Trekking. A popular Trekking or excursion route followed is from Mussoorie. The Trek route followed from Mussorie, which involves 17 days of trekking, passes through TehriMala (road point), Belak, Budakedar-Ghuttu-Panwali Kanta, Triyuginarayan and Kedarnath in that order. Apart from this Trekking Route, the Department of Tourism, Government of Uttarakhand, to encourage Tourism has identified and developed six major circuits, which includes the Rudraprayag–Kedarnath circuit, covering temples at Rudraprayag, TungnathOkhimathMadhyamaheshwarGuptkashi, Triyuginarayan and Kedarnath, along the Mandakini River Valley. This circuit involves a total trekking of 69 kilometres (43 mi), in adddtion to road journey.