Showing posts with label का प्रतीक. Show all posts
Showing posts with label का प्रतीक. Show all posts

Saturday, May 1, 2021

सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है गणेशोत्सव - गणेश चतुर्थी


गणेश विघ्न हर्ता, और सुख समृद्दिप्रदान करने वाले देव हैं, उनकी पूजा हमारे सारे कष्टों का विनाश करती हैं और हमें सुख सम्पन्नता देती हैं. गणेश चतुर्थी  (Ganesh Chaturthi) का त्यौहार न केवल भारत बल्कि थाईलैंड , कम्बोडिया, इंडोनेशिया ,और नेपाल में भी इसे धूमधाम से मनाया जाता हैं.

इस उत्सव की शुरुवात लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने महाराष्ट्र में शुरू की थी, उनका उद्देश्य सभी वर्गों, जातियों को एकत्रित करना और उनमे एकजुटता पैदा करना था. 

10 दिनों तक चलने वाला यह गणपति का उत्सव महाराष्ट्र में बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं. अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति विसर्जन के साथ इस उत्सव का समापन होता हैं.

Ganesh Chaturthi Story


गणेश चतुर्थी की कहानियो में सबसे प्रासंगिक कहानी माता पार्वती और शिव और गणेश की हैं. माता पार्वती ने एक बार चन्दन के मिश्रण से एक पुतला बनाया और उसमे प्राण प्रतिष्ठा की, माता ने उस बालक को आज्ञा दी जब तक में स्नान करू कोई भी भीतर नहीं आये, बालक ने माँ की आज्ञा को मानकर द्वार पर पहरा देने बैठ गए, उसी समय शिव शंकर आये और बालक ने उन्हें द्वार पर रोका पर शिव न रुके.


शिव और बालक के बीच में घमासान युद्ध हुआ, तब शिव ने क्रुद्ध होकर अपने त्रिशूल से बालक की गर्दन काट दी. जब यह बात माता पार्वती को पता चली तो वे विलाप करने लगी और क्रुद्ध होकर प्रलय करने का प्राण ले लिया. तब सभी देवो ने उनकी स्तुति कर उन्हें शांत किया. तब शिव के कहने पर भगवान् विष्णु उत्तर दिशा में गए वहाँ उन्हें सबसे पहले जीव के रूप में हाथी दिखा और विष्णु हाथी का सिर काटकर ले आये. तब शिव ने बालक के धड़ पर हाथी का शीश लगाया और उस दिन माता पार्वती का यह  पुत्र गणेश के नाम से तीनो लोकों में विख्यात हुआ. यह घटना भाद्र मास की चतुर्थी को हुयी थी, इसलिए इसी दिन को गणपति का जन्म दिवस मानकर गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi)  के रूप में मनाया जाता हैं.

Importance of Ganesh Chaturthi


गणेश चतुर्थी का महत्व (Importance of Ganesh Chaturthi) धार्मिक भी हैं और राष्ट्र प्रेम का प्रतीक भी हैं, गणेश चतुर्थी पर्व के इतिहास को अगर हम देखे तो यह पर्व चोल, चालुक्य, राष्ट्र वाहन के शासन काल से चला आ रहा हैं. फिर मराठा शिरोमणि छत्रपति शिवजी ने भी इस परंपरा और संस्कृति को जीवित रखते हुए गणेश चतुर्थी का उत्सव मनाया. ब्रिटिश की हुकूमत के दौरान जब समूर्ण भारत में बिगुल बजा तब कई स्वतंत्रता सेनानी और नेता आगे आये.


इन्ही में से एक थे लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक. जिन्होंने यह नारा दिया था - स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार हैं, और मैं इसे लेकर ही रहूँगा. ये तिलक ही थे जो गणेश उत्सव की परंपरा को वापिस लेकर आये थे. और उन्ही के द्वारा गणेश उत्सव मनाने की परंपरा का पुनर्जन्म हुआ.


गणेश उत्सव की परंपरा ने ही समस्त जाति वर्ग और धर्म के लोगो को एक सूत्र में पिरोया. और आज अपनी लोकप्रियता के कारण न केवल देश बल्कि विदेशो में भी गणेश उत्सव मनाने की परंपरा पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती हैं. सभी जाती धर्म के लोग एकजुट होकर 10 दिन तक गणेश उत्सव मनाते हैं और अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश के विसर्जन के साथ इस पूजा का समापन होता हैं.


गणेश चतुर्थी का पावन पर्व भाद्रपद मास की चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक मनाया जाता हैं.अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन के साथ इसका समापन होता हैं. 

गणेश चतुर्थी का पर्व सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक हैं. इस पर्व को मनाने का उद्देश्य सभी जाति, धर्मो और वर्गों के लोगो में एकता स्थापित करना था.


गणेश चतुर्थी महाराष्ट्र में मनाया जाने वाला एक पावन त्यौहार हैं. अब यह त्योहार न केवल महाराष्ट्र बल्कि भारत के विभिन्न प्रांतो में भी मनाया जाता हैं. पर एक विशेष बात हैं, गणेश उत्सव की चहल पहल और रौनक महाराष्ट्र में देखने लायक होती हैं. वहा हर घर में गणपति की धूम होती हैं. गणपति का उत्सव 10 दिन तक चलने वाला होता हैं. सभी लोग अपने घर को साफ़ और स्वच्छ करके मंदिर में एक ऊँचे सिंहासन में गणपति की स्थापना करते हैं, सभी लोग गणपति की पूजा अर्चना करते हैं.



गणपति को पंचामृत ( दूध, दही, घी, शहद, शक़्कर ) के मिश्रिण से स्नान कराये . इसके बाद स्वच्छ पानी या गंगाजल से स्नान कराये . फिर उन्हें नवीन वस्त्र पहनाये, इसके बाद उन्हें पुष्प, दूर्वा , और प्रसाद में उन्हें मोदक अर्पित करे . इसके बाद पूरा परिवार मिलकर गणेश की आरती करे,गणेशोत्सव के दौरान घर में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखे.

Ganesh Chaturthi Pooja Items

गणपति का यह उत्सव बहुत विशेष होता हैं, इसमें सभी भक्त पूरे मनोयोग से इसकी तयारी करते हैं, गणपति पूजा के दौरान गणपति को जिन पूजा सामग्री को अर्पित किया जाता हैं. वह इस प्रकार हैं

  • रोली
  • अक्षत
  • हल्दी पाउडर
  • चन्दन पाउडर
  • अगरबत्ती
  • धुप
  • कपूर
  • पान
  • सुपारी
  • घी
  • मौली
  • फल
  • फूल
  • फूलो की माला
  • तुलसी
  • मोदक या लड्डू
  • गंगाजल
  • गणेश के लिए नवीन वस्त्
  • चौकी
  • चौकी पर बिछाने के लिए नया आसान